Lord Shiva Motivational Stories In Hindi 2021
इस ब्लॉग पोस्ट में हम आप लोगो के लिए Lord Shiva Motivational Stories In Hindi 2021 लेकर आये है जिसको पढ़कर आपको बहुत ही ज्यादा प्रोत्साहन मिलेगा। भगवान शिव की कथा सुना मुझ जैसे तुच्छ इंसान के बस की बात की बात तो नही है फिर भी मै बहुत कोशिश करके आपके लिए भगवान शिव की कहानी लेकर आया हूँ। आशा करता हूँ आपको ये बहुत पसंद आयेगी।
Lord Shiva Motivational Story In Hindi
महिरिषी दाघिची का एक पुत्र था जिनका नाम था पिप्लाद। इनके नाम के पीछे भी एक अर्थ है। ये पीपल के फल बहुत खाते थे इसीलिए उनका नाम पिप्लाद पड़ा। दाघिची की तरह पिप्लाद भी बहुत तेजवान और तपस्वी थे। जब पिप्लाद को यह पता चला कि देवताओ की मदद करने के लिए उनके पिता ने अपने अस्थि को दान कर दिया।पिप्लाद यह बात सुनकर गुस्से में आग बबूले हो उठे और उन्हें बहुत दुख भी हुआ। गुस्से में उन्होंने देवताओ से अपने पिता के मौत का बदला लेने का सोचा। यही सोचकर वह भगवान शंकर की तपस्या में लीन हो गए। कड़ी तपस्या के बाद भगवान शंकर पिप्लाद की तपस्या से खुश हो गए और पिप्लाद से वरदान माँगने को कहा। पिप्लाद ने भगवान शंकर से कहा - हे आशुतोष! आप मुझे कोई ऐसा वरदान दे जिससे मैं देवताओं से अपने पिता की मौत का बदला ले सकू। भगवान शंकर ने पिप्लाद की बातें सुनी और उन्हें उनका माँगा हुआ वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए।
उनके अंतर्ध्यान होने के तुरंत बाद ही वहाँ एक काली कलूटी लाल-लाल आँखे वाली राक्षसी प्रकट हुई। उसके प्रकट होते ही अचानक से मौसम बदल गया और एकदम घना अंधेरा हो गया। प्रकट होते ही उसने पिप्लाद से कहा- बोलिये स्वामी मुझे क्या करना है। पिप्लाद ने उस राक्षसी से कहा- जाओ और इस ब्रम्हाण्ड के सारे देवताओँ को मार डालो। राक्षसी ने पिप्लाद से कहा- जो हुकुम स्वामी। यह कहते ही वह पिप्लाद की तरफ झपटी। उसे अपनी तरफ आता देख पिप्लाद ने उस राक्षसी से पूछा- तुम मुझे क्यों मारने आ रहे हो जबकि मैंने तुम्हें देवताओँ को मारने को कहा है। पिप्लाद की यह बात सुनकर राक्षसी बोली- स्वामी मेरी दृष्टि में तो सभी जीव के अंदर देव बसते है तो मैंने सोचा जब आप मेरे सामने ही खड़े है तो सबसे पहले मैं आपसे ही शुरू करू।
राक्षसी की यह बात सुनकर पिप्लाद बहुत घबरा गए और एक बार फिर से भगवान शिव का आवाहन करने लगे। भगवान शंकर फिर से प्रकट हुए और पिप्लाद से उनके पुनः आवाहन का उद्देश्य पूछा। पिप्लाद ने उन्हें सारी कथा सुनाई। पिप्लाद की बात सुनकर भगवान शंकर बोले- वत्स, क्रोध में लिया गया फैसला हमेशा भविष्य में कष्ट ही देता है इसीलिए कोई भी फैसला क्रोध में नही लेना चाहिए। क्रोध में आकर तुम यह भी भूल गए कि दुनिया के कण-कण में देवताओ का अस्तित्व है, वे कण-कण में विराजमान है। भगवान शंकर की बात सुनकर पिप्लाद का क्रोध शांत हो गया और उन्होंने भगवान शंकर से क्षमा माँगी। इस तरह से एक बार फिर से देवत्व की रक्षा हुई।
0 टिप्पणियाँ