इस Blog में आपको Best Moral Stories In Hindi में पढ़ने को मिलेंगी जो आपने अपने दादा दादी से सुनी होंगी। ये hindi stories बहुत ही प्रेरक है। ऐसे किस्से तो आपने अपने बचपन मे बहुत सुने होंगे पर ये किस्से कुछ अलग हौ। हमने भी इस ब्लॉग में Best Moral Stories In Hindi में लिखा है जिसको पढ़कर आपको बहुत ही ज्यादा आनंद मिलेगा और आपका मनोरंजन भी होगा। इसमे कुछ Best Moral Stories In Hindi दी गयी है। जिसमे आपको नयापन अनुभव होगा। यदि आप पुरानी कहानियाँ पढ़कर बोर हो गए है तो यहाँ पर हम आपको Best Moral Stories In Hindi दे रहे है जिसको पढ़कर आपको बहुत ही ज्यादा मज़ा आने वाला है।
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Best Moral Stories In Hindi
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खूनी झील | Best Moral Stories In Hindi
एक बार की बात है एक जंगल में एक झील थी। जो खुनी झील के नाम से प्रसिद्ध थी। शाम के बाद कोई भी उस झील में पानी पिने के लिए जाता तो वापस नहीं आता था। एक दिन चुन्नू हिरण उस जंगल में रहने के लिए आया।
उसकी मुलाकात जंगल में जग्गू बन्दर से हुई। जग्गू बन्दर ने चुन्नू हिरण को जंगल के बारे में सब बताया लेकिन उस झील के बारे में बताना भूल गया। जग्गू बन्दर ने दूसरे दिन चुन्नू हिरण को जंगल के सभी जानवरों से मिलाया।
जंगल में चुन्नू हिरण का सबसे अच्छा दोस्त एक चीकू खरगोश बन गया। चुन्नू हिरण को जब ही प्यास लगती थी तो वह उस झील में पानी पिने जाता था। वह शाम को भी उसमें पानी पिने जाता था।
एक शाम को वह उस झील में पानी पिने गया तो उसने उसमें बड़ी तेज़ी से अपनी और आता हुआ एक मगरमच्छ देख लिया। जिसे देखकर वह बड़ी तेज़ी से जंगल की तरफ भागने लगा। रास्ते में उसको जग्गू बन्दर मिल गया।
मेंढ़क का रखवाला | Best Moral Stories In Hindi
एक राजा अपनी वीरता और सुशासन के लिए प्रसिद्द था। एक बार वो अपने गुरु के साथ भ्रमण कर रहा था, राज्य की समृद्धि और खुशहाली देखकर उसके भीतर घमंड के भाव आने लगे , और वो मन ही मन सोचने लगे , ” सचमुच, मैं एक महान राजा हूँ , मैं कितने अच्छे से अपने प्रजा देखभाल करता हूँ !”
गुरु सर्वज्ञानी थे , वे तुरंत ही अपने शिष्य के भावों को समझ गए और तत्काल उसे सुधारने का निर्णय लिया।
रास्ते में ही एक बड़ा सा पत्थर पड़ा था , गुरु जी ने सैनिकों को उसे तोड़ने का निर्देश दिया।
जैसे ही सैनिकों ने पत्थर के दो टुकड़े किये एक अविश्वश्नीय दृश्य दिखा , पत्थर के बीचो-बीच कुछ पानी जमा था और उसमे एक छोटा सा मेंढक रह रहा था। पत्थर टूटते ही वो अपनी कैद से निकल कर भागा। सब अचरज में थे की आखिर वो इस तरह कैसे कैद हो गया और इस स्थिति में भी वो अब तक जीवित कैसे था ?
अब गुरु जी राजा की तरफ पलटे और पुछा , ” अगर आप ऐसा सोचते हैं कि आप इस राज्य में हर किसी का ध्यान रख रहे हैं, सबको पाल-पोष रहे हैं, तो बताइये पत्थरों के बीच फंसे उस मेंढक का ध्यान कौन रख रहा था..बताइये कौन है इस मेंढक का रखवाला ?”
राजा को अपनी गलती का एहसास हो चुका था, उसने अपने अभिमान पर पछतावा होने लगा , गुरु की कृपा से वे जान चुका था कि वो ईश्वर ही है जिसने हर एक जीव को बनाया है और वही है जो सबका ध्यान रखता है।
मित्रों, कई बार अच्छा काम करने पर मिलने वाले यश और प्रसिद्धि से लोगों के मन में अहंकार घर कर जाता है , और अंततः यही उनके अपयश और दुर्गति का कारण बनता है। अतः हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम चाहे इस जीवन में किसी भी मुकाम पर पहुँच जाएं कभी घमंड न करें , और सदा अपने अर्थपूर्ण जीवन के लिए उस सर्वशक्तिमान ईश्वर, अल्लाह, वाहे-गुरु के कृतज्ञ रहें।
चित्रकार और अपंग राजा | Best Moral Stories In Hindi
बहुत समय पहले की बात है किसी राज्य में एक राजा राज करता था जिसके केवल एक टांग और एक आँख थी उस राज्य की प्रजा बहुत ही खुशहाल और धनवान थी। सब लोग एक साथ मिल कर ख़ुशी से जीवन यापन करते थे और अपने राजा का सम्मान करते थे क्योंकि उस राज्य का राजा एक बुद्धिमान और प्रतापी व्यक्ति था।
एक बार राजा के मन में यह विचार आया कि क्यों ना अपनी एक तस्वीर बनवाई जाए जो राजमहल में लगाई जा सके, फिर क्या था राजा ने अपने मंत्री को आदेश दिया कि देश और विदेश से महान चित्रकारों को बुलाया जाए। राजा के आदेश पाकर देश और विदेश से कई महान चित्रकार राजा के दरबार में पहुंचे, राजा ने उन सभी से हाथ जोड़कर आग्रह किया कि उनकी एक बहुत ही सुन्दर तस्वीर बनाई जाए।
राजा के इस आदेश से सारे चित्रकार सोच में पड़ गए कि राजा तो पहले से ही विकलांग है तो इसकी तस्वीर को बहुत सुंदर कैसे बनाया जाए यह तो संभव ही नहीं है और अगर तस्वीर सुंदर नहीं बनी तो राजा गुस्सा होकर दंड देगा यह सोच कर सभी चित्रकारों ने राजा की तस्वीर बनाने से मना कर दिया तभी उन चित्रकारों की भीड़ में से एक हाथ ऊपर उठा और आवाज आई “मैं आपकी बहुत ही सुन्दर तस्वीर बनाऊंगा जो आपको निश्चित ही पसंद आएगी”।
चित्रकार ने राजा की आज्ञा लेकर तस्वीर बनाना शुरू किया काफी देर बाद उसने एक तस्वीर तैयार की। राजा उस तस्वीर को देख कर बहुत प्रसन्न हुआ यह देख कर वहा खड़े सारे चित्रकारों ने अपने दांतो तले उंगली दबा ली उस चित्रकार ने एक ऐसी तस्वीर बनाई थी जिसमें राजा एक टांग को मोड़कर जमीन पर बैठा हुआ था और एक आँख बंद कर अपने शिकार पर निशाना साध रहा था राजा यह देखकर बहुत प्रसन्न हुआ कि चित्रकार ने उसकी कमजोरी को छिपा कर बहुत ही चतुराई से एक सुंदर तस्वीर बनाई राजा ने खुशहोकर उस चित्रकार को बहुत सारा धन दिया।
तो दोस्तों क्यों ना हम भी चित्रकार की तरह दूसरों की कमजोरियों को नजर अंदाज कर उनकी अच्छाइयों पर ही ध्यान दें। जरा सोचिए अगर हम दूसरों की कमियों का पर्दा डालें और बुराइयो को नज़रंदाज़ करे तो एक दिन दुनिया कि सारी बुराईयाँ ही ख़त्म हो जाएगी और सिर्फ अच्छाइयाँ ही रह जाएगी।
गुरु और शिष्य | Best Moral Stories In Hindi
एक युवा धनुर्धर ने अपने गुरु से धनुर्विद्या सीखी और जल्दी ही वह बहुत अच्छा निशाना लगाने लगा। तीर चलाने में वह इतना निपुण हो गया था कि अपने साथी से पूछता था कि बोलो कहां निशाना लगाना है। साथी बताते कि फलां पेड़ या फलां फल को गिराकर बताओ और वह धनुर्धर तुरंत ही वैसा करके दिखा देता।
अपनी इस विधा पर धनुर्धर फूला नहीं समा रहा था। सफलता सर चढ़कर बोलने लगी। अब वह कहने लगा कि वह गुरुजी से बढ़िया धनुर्धर हो गया है। गुरुजी को जब यह बात पता चली तो उन्होंने कुछ भी नहीं कहा।
एक बार गुरुजी को किसी काम से दूसरे गांव जाना था। उन्होंने अपने इसी शिष्य को बुलाया और साथ चलने को कहा। गुरु-शिष्य दोनों जब रास्ते से चले तो बीच में एक जगह खाई दिखी। गुरु ने देखा, खाई में एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए एक पेड़ के तने का पुल बना हुआ है। गुरु उस पेड़ के तने पर पैर रखते हुए आगे बढ़े और पुल के बीच में पहुंच गए।
वहां पहुंचकर उन्होंने शिष्य की तरफ देखा और पूछा कि बताओ कहां निशाना लगाना है। शिष्य ने कहा कि वो जो सामने पतला-सा पेड़ दिख रहा है उसके तने पर निशाना साधिए। गुरु ने तत्काल निशाना लगाकर बता दिया। गुरु सरपट पुल से इस तरफ आ गए।
इसके बाद उन्होंने शिष्य से ऐसा करके दिखाने को कहा। शिष्य ने जैसे ही पुल पर पैर रखा, वह घबरा गया। पुल पर अपना वजन संभालकर आगे बढ़ना मुश्किल काम था। शिष्य जैसे-तैसे पुल के बीच में पहुंचा। गुरु ने कहा- तुम भी उसी पेड़ के तने पर निशान साधकर बताओ।
शिष्य ने जैसे ही धनुष उठाया, संतुलन बिगड़ने लगा और वह तीर ही नहीं चला पाया। वह चिल्लाने लगा- गुरुजी बचाइए। वरना मैं खाई में गिर जाऊंगा। गुरुजी पुल पर गए और शिष्य को इस तरफ उतार लाए। दोनों ने यहां से चुपचाप गांव तक का सफर तय किया। शिष्य के समझ में बात आ गई थी कि उसे अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है। इसलिए कभी अपनी श्रेष्ठता का घमंड नहीं करना चाहिए।
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